मीरजापुर
.............. देशभर में चीनी मांझे का खूनी आतंक जौनपुर में शिक्षक की मौत के बाद सवाल तेज़—प्रतिबंध के बावजूद मांझा बाजारों में कैसे पहुँचा? सन 2020 में सिटी मजिस्ट्रेट सहदेव मिश्रा ने मांझा के खिलाफ चलाया था अभियान पत्रकार सुशील कुमार स्वामी की रिपोर्ट जौनपुर / नई दिल्ली। प्रतिबंधित चीनी मांझा एक बार फिर मौत बनकर सामने आया है। जौनपुर में बाइक से जा रहे एक शिक्षक की गला कटने से हुई दर्दनाक मौत ने पूरे प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में चिंता बढ़ा दी है। यह घटना अकेली नहीं है। दिल्ली, मुंबई, इंदौर, पटना, वाराणसी, प्रयागराज सहित देश के दर्जनों शहरों से हर साल ऐसे हादसों की खबरें आती हैं, जहाँ तेज़ धार वाले चीनी मांझे से लोगों के गले, चेहरे, कान और नाक गंभीर रूप से कट जाते हैं। कई मौकों पर जान तक चली जाती है। प्रतिबंध के बाद भी मांझा बाजारों में उपलब्ध केंद्र सरकार ने चीनी मांझे की बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है, इसके बावजूद यह मांझा खुले बाजारों में पैकेटबंद मिल रहा है। कई दुकानों पर इसे चोरी-छिपे बेचा जाता है, जबकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी इसकी उपलब्धता की शिकायतें लगातार मिलती रहती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्व-त्योहारों पर, विशेष रूप से खिचड़ी के दौरान, इसकी मांग अचानक बढ़ जाती है और आपूर्ति भी उसी अनुपात में जारी रहती है। इससे दुर्घटनाओं की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। देशभर में लगातार बढ़ रहे हादसे दिल्ली में कई बाइक सवार युवकों की मौत मुंबई में स्कूटी सवार युवक का गला चीरा इंदौर में महिला का कान आधा उखड़ गया पटना में दो बच्चों के चेहरे बुरी तरह कट यूपी के कई जिलों—जौनपुर, रायबरेली, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज—में लगातार घायलों की संख्या बढ़ती जा रही है यह स्पष्ट है कि चीनी मांझा अब स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जनसुरक्षा का गंभीर खतरा बन चुका है प्रशासन की कार्रवाई केवल खानापूर्ति? लोगों का आरोप है कि शासन-प्रशासन की ओर से समय-समय पर छापेमारी अवश्य होती है, लेकिन यह केवल दिखावा साबित होती है। दुकानों पर बिक्री बंद नहीं होती और सप्लाई चेन पर कोई ठोस निगरानी नहीं की जाती। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रतिबंधित होने के बावजूद यदि यह मांझा बाजार में मिल रहा है, तो निस्संदेह कहीं न कहीं प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत का हिस्सा है। आखिर कितनी मौतें पर्याप्त होंगी? विशेषज्ञों और आम जनता की ओर से एक बड़ा प्रश्न उठ रहा है: जब चीनी मांझे से हर साल लोगों की जान जा रही है, तब इसे पूरी तरह रोकना इतना मुश्किल क्यों है? क्या कागज़ी कार्रवाई से जनहानि का भय कम हो जाएगा? क्या बाजार का मुनाफा नागरिकों की जिंदगी से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है और सबसे बड़ा सवाल—क्या प्रशासन तब जागेगा, जब मौतों की संख्या और लंबी हो जाएगी? एक जानकारी यह भी रही। सन 2020 में सहदेव मिश्रा सिटी मजिस्ट्रेट जौनपुर रहे हैं। उन्होंने एक अभियान चाइनीस माझे को लेकर के चलाया था। शहर में तमाम छापेमारी की थी जिसमें काफी समय तक बेचने वाले इधर-उधर भागते फिर रहे थे उसके बाद कोई विशेष अभियान चला नहीं। चीनी मांझा अमानवीय खेल बन चुका है। यह अब सिर्फ पतंग उड़ाने का साधन नहीं, बल्कि जानलेवा हथियार है। जरूरत इस बात की है कि इसकी बिक्री, सप्लाई, भंडारण और ऑनलाइन उपलब्धता पर कठोरतम कार्रवाई की जाए। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति का जीवन खतरे में रहेगा।
............. फर्जी कफ सिरप मामला; फरार शुभम और उसके साथी महेश पर 25-25 हजार का इनाम घोषित वाराणसी: फर्जी कफ सिरप की सप्लाई मामले में फरार शुभम जायसवाल और उसके पार्टनर महेश सिंह पर वाराणसी पुलिस ने 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है. इस मामले का कथित मास्टरमाइंड शुभम काफी समय से फरार है. उस पर धोखाधड़ी और नारकोटिक्स के तहत केस दर्ज हैं.डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल ने बताया कि बुधवार को शुभम जायसवाल की गिरफ्तारी के लिए टीमों को अलग-अलग जगह भेजा गया था, लेकिन वह कहीं नहीं मिला. शुभम के आदमपुर स्थित प्रह्लाद घाट कायस्थ टोला और उसके दूसरे घर पर भी निगरानी बढ़ाई गई है. वाराणसी कमिश्नरेट की एसआईटी, यूपी एसटीएफ और एंटी नारकोटिक्स की टीम लगातार दबिश दे रही हैं, लेकिन शुभम हाथ नहीं आया. शुभम के साथ ही वरुण सिंह, गौरव जायसवाल, विशाल मल्होत्रा की भी तलाश की जा रही है. संपत्तियां होंगी कुर्क: डीसीपी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ जल्द ही इनाम की राशि भी बढ़ाई जाएगी. वहीं, गिरफ्तारी नहीं होने पर उनकी संपत्तियां कुर्क करने की तैयारी शुरू की जा रही है. शुभम जायसवाल के मकान पर दबिश देकर उस पर प्रेशर डाला जा रहा है. साथ ही परिजनों को नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि एसआईटी ने खोजवां निवासी दिवेश जायसवाल, अंकुश सिंह, घनश्याम मौर्य समेत अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार करने के लिए टीम बनाई हैं. उनकी लोकेशन ट्रेस करने की जा रही है. शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद को सोनभद्र पुलिस ने पिछले दिनों कोलकाता से गिरफ्तार किया था. फिलहाल, वाराणसी कमिश्नरेट, सोनभद्र, जौनपुर, चंदौली के अलावा गाजियाबाद में शुभम के खिलाफ एफआईआर दर्ज है. शुभम को दुबई, कोलकाता, दिल्ली और उत्तराखंड सहित अन्य जगहों पर तलाशा जा रहा है. झारखंड, रांची की शैली ट्रेडर्स के प्रोपराइटर भोला प्रसाद और शुभम जायसवाल समेत 38 फार्मो के खिलाफ कोतवाली थाने में एनडीपीएस और धोखाधड़ी की अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है
............ उन्नाव में SIR अभियान; 3 लाख 19 हजार से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए उन्नाव: जिले में जारी SIR अभियान के तहत अब तक 3 लाख 19 हजार से ज्यादा मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं. कैंपेन के दौरान 3.19 लाख से अधिक ASD वोटर्स मिले, जिनका नाम लिस्ट से हटाया गया. अब तक SIR का करीब 98.34% काम पूरा हो चुका है. एडीएम उन्नाव सुशील कुमार गोंड ने बताया कि SIR अभियान जिले में चल रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य बिना किसी दबाव या चूक के मतदाता सूची को शुद्ध करना है. उन्होंने कहा अब तक कुल 16.32% ASD वोटर्स की पुष्टि की जा चुकी है. इसके आधार पर अनुपस्थित, स्थानांतरित और मृत लोगों के नाम सूची से हटाए गए हैं. यह प्रक्रिया संवेदनशील और जिम्मेदारी वाली है, क्योंकि इसमें यह सुनिश्चित करना है, कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम गलती से न हटे. एडीएम ने बताया कि हर ASD वोटर का व्यक्तिगत सत्यापन कराया जा रहा है. इस सत्यापन कार्य में बीएलओ के साथ बूथ लेवल एजेंट्स की भी मदद ली जा रही है. संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है, कि प्रत्येक बूथ क्षेत्र में जाकर वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाए, जिससे त्रुटि की संभावना न रहे. सत्यापन के बाद जो सूची तैयार होगी, वह बीएलओ के साथ-साथ बूथ लेवल एजेंटों को भी उपलब्ध कराई जाएगी. ताकि वह भी अपने स्तर पर किसी भी त्रुटि को पकड़ सकें. अभियान के तहत 12 दिसंबर को जिले भर में विशेष अभियान चलाया जाएगा. सभी जनप्रतिनिधियों को भी जानकारी दी जाएगी. एडीएम सुशील कुमार गोंड ने कहा कि गांवों और वार्ड प्रतिनिधि अपने क्षेत्र में यह सुनिश्चित करें कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से छूट न जाए. साथ ही कोई अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में बना न रहे. एडीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में संशोधन का काम पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ किया जा रहा है.लोगों से भी अपील की गई है, कि अगर किसी पात्र मतदाता का नाम सूची में शामिल नहीं है, तो वह फार्म-6 भरकर नाम जुड़वा सकता है. यदि किसी अपात्र या मृत व्यक्ति का नाम अभी भी सूची में है, तो उसकी सूचना भी संबंधित बीएलओ या निर्वाचन कार्यालय को दी जा सकती है
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